...

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प्रेम ...समझ नही आया मन को
ये प्रेम नही समझ आया कभी मुझे
या तो प्रेम ने नहीं समझा मुझे

पहली बार छूआ था ये शब्द ने
मन को,बारिश की बूंद के जैसे
जो महका देती है बरसों से तरसती
सूखी धरा की सौंधी मिट्टी को

हाँ,याद है वो सिरहाने पर किया गया
पहला...