...

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उम्मीद.... भूल जाने की...
क्या है उधर जिसे तुम देख रहे हो
कौन है जिसकी राह ताक रहे हो
पलके बिछा कर देख रहे हो तुम राह क्यों उनकी
क्या है ऐसी बात जो अब भी इंतजार कर रहे हो

समझा क्या रहे हो दिल को अपने
बहला क्यों रहे हो मन को अपने
हकीकत तो यकीनन मालूम है तुमको
फिर भी में आखों में आश जगा क्यों रखे...