...

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उम्मीद.... भूल जाने की...
क्या है उधर जिसे तुम देख रहे हो
कौन है जिसकी राह ताक रहे हो
पलके बिछा कर देख रहे हो तुम राह क्यों उनकी
क्या है ऐसी बात जो अब भी इंतजार कर रहे हो

समझा क्या रहे हो दिल को अपने
बहला क्यों रहे हो मन को अपने
हकीकत तो यकीनन मालूम है तुमको
फिर भी में आखों में आश जगा क्यों रखे हो

वफ़ा करके भी मिला क्या आखिर तुमको
इंतजार करके भी मिला क्या तुमको
सवाल भी किया तो क्या जवाब मिला तुमको
मिला तो सिर्फ़ तकलीफें
और दिखाने को झूठी हसीं
और जवाब के बदले मिला एक और सवाल

ठीक है फिर भी सारी तकलीफें
सारे झूठे वादे
सारे अधूरे दिखाए सपने तुम्हारे
भूल जाते हैं सब कुछ करते हैं एक नई शुरुआत फिर से
होगा बस फर्क इतना सा
तुम बढ़ोगे आगे अपनी जिंदगी में
और हम रहेंगे साथ यादों के तुम्हारे।।


© Aaliya