नारी शक्ति
मैं नारी...... नदी सी मेरे दो किनारे।
एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायका
दोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका।
एक तरफ मां जिसकी कोख का मैं हिस्सा ।
दूजी ओर सास के लाल संग जुड़ा मेरे जीवन भर का किस्सा
एक तरफ पिता , जिनसे है अपनत्व की धाक।
दूजी ओर ससुरजी जिनकी हैं सम्मान की साख।
मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी
ससुराल का आँगन ...
एक किनारे ससुराल, दूजी ओर मायका
दोनों मेरे अपने फिर भी अलग दोनों का जायका।
एक तरफ मां जिसकी कोख का मैं हिस्सा ।
दूजी ओर सास के लाल संग जुड़ा मेरे जीवन भर का किस्सा
एक तरफ पिता , जिनसे है अपनत्व की धाक।
दूजी ओर ससुरजी जिनकी हैं सम्मान की साख।
मायके का आँगन मेरे जन्म की किलकारी
ससुराल का आँगन ...