दो बोल
दो बोल बोल के ही मीठे अपने ज़मीर को तोल,
तन पे अभिमान न कर मन की अखियाँ खोल,
इसे प्रेम भाव से कस कब हो जाये डामाडोल,
दो बोल ही रह जायेंगे बिक जायेगा माटी मोल,
🌹🌹राधे राधे🌹🌹
तन पे अभिमान न कर मन की अखियाँ खोल,
इसे प्रेम भाव से कस कब हो जाये डामाडोल,
दो बोल ही रह जायेंगे बिक जायेगा माटी मोल,
🌹🌹राधे राधे🌹🌹
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