आशियाने जले बस कहने को घर बने
वो पूछ रही थी घर होते हुए भी तुम यूँ मुसाफिरों की तरह क्यूँ भटकते हो,
वो पूछ रही थी की इस गली मे तुम...
वो पूछ रही थी की इस गली मे तुम...