...

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जो नहीं कहा
हम ख़ुद को मोहब्बत में समझे
कर बैठे रंजीशें एहले यार से
जो ना कहा उन्होंने, सुन लिया हमने,
देख लिया सब, बिन दीदार के

काश वो भी सुन लेते जो मैं कह न सकी
मेरी हर मुस्कुराहट पे वो खुद पे इतराए
इस हंसी के पीछे का दर्द वो समझ न पाए
काश वो भी कह देते जो मैं सुन न सकी

वो ओस बोले मैं बारिश समझी
वो धुआं बोले मैं बादल समझी
वो चिंगारी बोले मैं पूरा सूरज समझी
वो झील बोले मैं यूं ही समंदर समझी

इश्क है मन से मन का नाता
बिन कहे बिन सुने समझ सब आ जाता
समझ जाओ तुम भी मेरे हृदय की बात
खो गए कहां वो दिन, छुप गई कहां वो रात

स्त्री हूं, बहू हूं, हूं एक परिवार की बेटी
हो गई मसरूफ जद्दो जहद में जिंदगी की
तुम भी तो कमाने में हो थक जाते
खो गए वो प्यारे पल वो नटखट बरसातें

ढूंढ लाओ मेरे प्यार के वो पल
छीन लाओ बीते वक्त से कल
चलो फिर बातें करें छुप छुप के
हम भी फिर से सपने बुने फिर कल के....







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