पिता ( कविता )
सुना है नाम मैंने माँ की ममता का
देखा है साक्षात् मैंने माँ की ममता को ।
जिंदगी मेरी बनाने,संवारने मे पिता लीन है
जिंदगी के हर गम में पिता मेरा शरीक है ।
कि वक्त कहाँ पिता के पास प्यार दिखाने को
फिर भी मै जानू और पहचानू पिता के प्यार को ।
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