...

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कोई पुकार रहा है?
कोई पुकार रहा है,दिल की गहराइयों से।
यादों के झरोखों से,दबी मुस्कुराहटों से।
कुछ कह कर कुछ सुनने की आशा से।
कुछ अनजाने इशारों से कोई पुकार रहा है।

सबसे छिपाकर अपनी नम आंखों से।
दबा कर अपने दिल के जज़्बातों से।
मायूसी के भाव से मुस्काते हुए।
कपकपातें होठों से कोई पुकार रहा है।

तुम्हारी ज़िंदगी मे अपने किरदार से।
हर पल तुम्हारे करीब रहने की चाह से।
आंसुओं को तुम्हारे रोकने के भाव से।
होठों पर तुम्हारी हरपल मुस्कान देखने को।
दिल में चाहत लिए कोई पुकार रहा है।
संजीव बल्लाल 30/5/2023
© BALLAL S