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इश्क़
इश्क़ ख़त्म नही होता..
दब जाता है;
दिल के किसी बदसूरत
जगह पर,
जहाँ अकेलापन
होता है,
बेचैनी होती है,
गुमनामी होती है,
जहाँ रातों को
उसकी यादें रोज़
दस्तक देती है,
जिंदगी के बोझ
तले वहीं गुज़ार
देता है पूरी उम्र,
बिना किसी को
एहसास दिलाए
और यूँ ही
मौत के साथ अमर हो जाता
है....
दब जाता है;
दिल के किसी बदसूरत
जगह पर,
जहाँ अकेलापन
होता है,
बेचैनी होती है,
गुमनामी होती है,
जहाँ रातों को
उसकी यादें रोज़
दस्तक देती है,
जिंदगी के बोझ
तले वहीं गुज़ार
देता है पूरी उम्र,
बिना किसी को
एहसास दिलाए
और यूँ ही
मौत के साथ अमर हो जाता
है....
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