...

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हमने क्या क्या गंवाया है


मुद्दतें लगा दी तब जा कर,
ये तजुर्बा हमने पाया है,
जो दिखता पास मेरे उसकी खातिर,
तुम क्या जानो क्या क्या गंवाया है।
कौन देता साथ इस जहां में,
जहां सब मोह और माया है,
इतने तड़पे हैं हम की हमें तो,
छोड़ गया हमारा खुद का साया है।
इल्म क्या तुम्हें इन्तेहाँ ए दर्द की,
क्या तुमने कभी हमें अपनाया है,
आंसुओं का एक सैलाब उमड़ता है दिल में,
जब भी मुस्कुराकर इस दुनिया को हंसाया है।
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© शैल