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मिटती नहीं मोहब्बत की निशानियाँ
मिटाए सी मिटती नहीं मोहब्बत की निशानियाँ उनकी,
भुलाए से भूल ना पाएं ऐसी हैं कहानियाँ उनकी।
जिस्म-ओ-जाँ में शामिल रहती हैं बनकर महक सी,
याद आती हैं आज भी रह-रहकर कद्रदानियाँ उनकी।
साज़-ए- दिल में बज उठता है तरन्नुम आज भी नाम से उनके,
अश्कों से भर जाता है दामन जब पढ़ते हैं चिट्टियाँ उनकी।
मशहूर थी ज़मानें में कभी दास्तान- ए- मोहब्बत अपनी,
सदाओं में महसूस होती है आज भी गौहर- फिशानियाँ उनकी।
मेरी मोहब्बत हो तुम जो समाई है रगों में लहू बनकर,
मेरी हर ग़ुफ़्तगू में झलक ही जाती है बाताँ पुरानियाँ उनकी।
ज़माने ने हमेशा बेवफ़ा कहकर ही पुकारा है उनको,
लेकिन वजूद में मेरे शामिल हैं रंग-ए-शादमानियाँ उनकी।
भुलाए से भूल ना पाएं ऐसी हैं कहानियाँ उनकी।
जिस्म-ओ-जाँ में शामिल रहती हैं बनकर महक सी,
याद आती हैं आज भी रह-रहकर कद्रदानियाँ उनकी।
साज़-ए- दिल में बज उठता है तरन्नुम आज भी नाम से उनके,
अश्कों से भर जाता है दामन जब पढ़ते हैं चिट्टियाँ उनकी।
मशहूर थी ज़मानें में कभी दास्तान- ए- मोहब्बत अपनी,
सदाओं में महसूस होती है आज भी गौहर- फिशानियाँ उनकी।
मेरी मोहब्बत हो तुम जो समाई है रगों में लहू बनकर,
मेरी हर ग़ुफ़्तगू में झलक ही जाती है बाताँ पुरानियाँ उनकी।
ज़माने ने हमेशा बेवफ़ा कहकर ही पुकारा है उनको,
लेकिन वजूद में मेरे शामिल हैं रंग-ए-शादमानियाँ उनकी।
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