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तुम जानते हो न
तुम जानते हो न,
मैं तुमसे कितना प्रेम करती हूं।
(बिलखती प्रेमिका)
फिर भी...
हम साथ नहीं रह सकते....
(दृढ़ प्रेमी)
कैसे रेह पाऊंगी मैं तुम्हारे बिना कभी सोचा है तुमने तुमसे इक दिन बात ना होती थी तो मेरे दिल में बेचैनी सी होने लगती थीं...!
अब तो सारी जिंदगी तुम्हारे बिना ही गुजारनी हैं मुझे फिर तुम्हीं सोचो ना जान ..! हर रोज तुम्हारी यादों में मरते हुए आखिर कैसे जि पाऊंगी मैं...!!
© काल्पनिक लड़की
मैं तुमसे कितना प्रेम करती हूं।
(बिलखती प्रेमिका)
फिर भी...
हम साथ नहीं रह सकते....
(दृढ़ प्रेमी)
कैसे रेह पाऊंगी मैं तुम्हारे बिना कभी सोचा है तुमने तुमसे इक दिन बात ना होती थी तो मेरे दिल में बेचैनी सी होने लगती थीं...!
अब तो सारी जिंदगी तुम्हारे बिना ही गुजारनी हैं मुझे फिर तुम्हीं सोचो ना जान ..! हर रोज तुम्हारी यादों में मरते हुए आखिर कैसे जि पाऊंगी मैं...!!
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