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हारे का सहारा
जब लगा जीवन में कुछ बचा नही
जब लगा चलने को कोई राह नही
जब लगा सभी दरवाजे बंद हो गये
जब बुझने लगी लौ उम्मीदों की
जब आशाओं का दामन छूटने लगा
अँधेरे जकड़ने लगे प्रतिकूलता के
तभी एक आवाज़ आई भीतर से
"अभी भी कुछ नही बिगड़ा है "
मैं तेरे साथ हूँ तू चल तो सही
मैं गिरने नही दूँगा तू कदम तो आगे बढा
जीत तेरी ही होगी तू निश्चय तो कर
वो आवाज़ थी मेरे आराध्य की
वो साथ था जब कोई साथ न था
उसने थामा था जब सबने ठुकराया था
यूं ही तो उसे हारे का सहारा नही कहते


© Garg sahiba