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सिंदुरी भोर
अलसाई प्रकृति जाग उठी, लेकर एक मीठी सी अंगड़ाई,
सिमट गई निशा की चादर, भोर ने सिंदूरी चुनर बिछाई।

तमोभेदी ने भेद दिए सारे तम,...