...

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बहुत है...
खड़े है दुनिया के बाजार में,जहाँ खरीदार बहुत है,
बोली लग रही है चारो ओर, और शाहूकार बहुत है,

नाम लिया जा रहा कही इश्क़ का कही आत्मा का,
हक़ीक़त जानी पता चला जिश्म के बाजार बहुत है,

जो भी मिले जिस भी उम्र की मिले बस रौंद डालो ,
यहाँ दाल बोटी समज नॉचने वाले सरदार बहुत है,

क्या फर्क पड़ता है प्यार हो न हो रूह का किसीसे,
यहाँ तो तन पर पैसे उड़ानेवाले मालदार बहुत है,

ऐ खुदा तेरी ज़रूरत नही अब इस दुनियावालो को,
यहाँ देख हर गली नुक्कड़ पे तेरे ठेकेदार बहुत है।।