सोईं ख़्वाहिशें
आज फिर,
उसकी याद आई,
ऐसा नहीं कि,
रोज़ न, आती हो।
मगर,आज,
जाने क्यों?
झिंझोड गई हृदय।
करे झंकृत,
मत पूछो तुम,
क्या कया?...
उसकी याद आई,
ऐसा नहीं कि,
रोज़ न, आती हो।
मगर,आज,
जाने क्यों?
झिंझोड गई हृदय।
करे झंकृत,
मत पूछो तुम,
क्या कया?...