खामोशी भी दोषी है
दिल की बात ना कही तुमने, दिल टूट जाने के डर से
वापस ना लौट पाओगे, ये सोच कर तुम निकले नही घर से
खिल जाती हो तुम मुझे देख श्याम के आसमान की तरह
लेकिन फिर मुझसे बात कर दिखाते हो बन कर...
वापस ना लौट पाओगे, ये सोच कर तुम निकले नही घर से
खिल जाती हो तुम मुझे देख श्याम के आसमान की तरह
लेकिन फिर मुझसे बात कर दिखाते हो बन कर...