राह ज़िन्दगी की टेढ़ी- मेढ़ी..
ये राह ज़िन्दगी की टेढ़ी -मेढ़ी होती है||
मंजिल को पाने की चाह होती है,
लड़ कर थक कर बैठ जाते हैं,
आसान यहाँ ना कुछ होता है,
मालूम जब हमें तुम्हें सबको होता है,
तो फिर एक सवाल है
ये इंसान इन्हे उन्हें क्यूँ कोसता है?
अरे हो सकता है सब हो...
मंजिल को पाने की चाह होती है,
लड़ कर थक कर बैठ जाते हैं,
आसान यहाँ ना कुछ होता है,
मालूम जब हमें तुम्हें सबको होता है,
तो फिर एक सवाल है
ये इंसान इन्हे उन्हें क्यूँ कोसता है?
अरे हो सकता है सब हो...