टिकटॉक एक जाल
टिकटॉक सब देखें
बच्चें देखें
जवान देखें
बुङ्ढे भी देखें ।
टिकटॉक
देख देख सब हँसे
पता नही किस पे हँसे
अपने पे या दूसरों पे
या फिर अपनों पे ही हँसे
या फिर अपनी बचकानी
हरकतों पे हँसे
या फिर अपनी संस्कृति पे
जिसका ह्रास हो रहा है
इस टिकटॉक ऐप्प पर
उस पर हँसे ।
सब लगे है
अपने समय और संस्कृति को
बर्बाद करने के टैलेंट में
अपना समय बर्बाद कर
सब हँसे या खुद ही
इसके जाल में फंसे ।
एक बार टिकटॉक चालू
फिर देखो इसके झटके
एक दो तीन चार पाँच घण्टे तक
आपको हिलने की जरूरत भी नही
आँखों को झपकाने की ज्यादा
जरूरत नही पड़ेंगी
पास कौन बैठा है
वो भी...