घूँघट की आड़
आख़िर कैसे करूँ प्रियतमा,रूप सौंदर्य का तेरे बखान
एक घूँघट की आड़ में गोरी, तेरे वो बिखरे-बिखरे बाल
बड़ी सी बिंदिया लाल सजी थी, सुन्दर से ललाट पे तेरे
आँखों के कोरों पे दिखती, कजरारी सी धार ओ गोरी...
एक घूँघट की आड़ में गोरी, तेरे वो बिखरे-बिखरे बाल
बड़ी सी बिंदिया लाल सजी थी, सुन्दर से ललाट पे तेरे
आँखों के कोरों पे दिखती, कजरारी सी धार ओ गोरी...