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शहर (reuploaded poem)
अल्फाज़ों का शहर है यह
खामोशी कौन ही सुनता है यहाँ
मतलबीयों का शहर है यह
दोस्ती कौन ही करता है यहाँ
झूठों का शहर है यह
सच कौन ही बोलता है यहाँ
वासनाओं का शहर है यह
इज़्ज़त औरत की कौन ही करता है यहाँ
नशे में डुबों का शहर है यह
सूफी कौन ही बचा है यहाँ
बुराइयों से ही भरा पड़ा है
मुस्तफा यह शहर अब बचा कहाँ है।
© The Silent one
खामोशी कौन ही सुनता है यहाँ
मतलबीयों का शहर है यह
दोस्ती कौन ही करता है यहाँ
झूठों का शहर है यह
सच कौन ही बोलता है यहाँ
वासनाओं का शहर है यह
इज़्ज़त औरत की कौन ही करता है यहाँ
नशे में डुबों का शहर है यह
सूफी कौन ही बचा है यहाँ
बुराइयों से ही भरा पड़ा है
मुस्तफा यह शहर अब बचा कहाँ है।
© The Silent one
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