...

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जो तेरे साथ मेरे जज्बात हैं
तुम कहते हो कि मेरी हर किसी से बात होती है,
हां यह सच है लेकिन अब मैं तुझे कैसे समझाऊं कि
उनसे मेरी बस बात होती है दिन और रात नहीं होती।

जो तेरे साथ मेरे जज्बात हैं ,
वह हर किसी के साथ नहीं होती।
किसी की नाराजगी से मुझे फर्क नहीं पड़ती,
अब तुझे कैसे बताऊं कि तेरी नाराजगी से
मैं खुद के साथ नहीं होती।

बस इतना है हमें जताना नहीं आता,
बेइंतेहा मोहब्बत है बताना नहीं आता ,
और तुम समझते हो कि प्यार नहीं करते ,
इल्जाम यह लगाते हो कि मुझे रिश्ते निभाने नहीं आते।