वक़्त..
एक आदत खो चुका हूँ
ख़ुद को वक़्त देने की
एक आदत खो चुका हूँ
प्रेम के ख़त लिखने की
क्या दिन क्या रात
जब देखो काम ही काम
कभी हो ख़ुद से फुर्सत तो
कभी उनका हो आराम
चाहता...
ख़ुद को वक़्त देने की
एक आदत खो चुका हूँ
प्रेम के ख़त लिखने की
क्या दिन क्या रात
जब देखो काम ही काम
कभी हो ख़ुद से फुर्सत तो
कभी उनका हो आराम
चाहता...