...

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ये कमबख्त दोस्त
होंठों पर एक शरारती मुस्कान रखते है।
हम आज भी थोड़ा बचपन साथ रखते है।।

उम्र का तो काम ही है बढ़ते जाना।
ये कमबख्त दोस्त ही हैं जो हमें जवान रखते है।।

बढ़ती उम्र सायना बनाती है।
ये कमबख्त दोस्त ही हैं जो बचपना साथ रखते है।।

बड़ती है जब मोमबत्तियाँ cake पर हमारी।
ये कमबख्त दोस्त ही हैं जो उसे कम रखते है।।

अब तो न वो दिन वापस कभी आयेगा।
ये कमबख्त दोस्त ही हैं जो उस रोज़ वापस लाते है।।