...

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वक्त का खेल ...
क्या जूठ क्या सच है वो मालूम होकर भी मालूम नही है ।
वक्त की ऐसी जंजिर है की जहा थोड़ा सा अपना पन क्या दिखा दिया यहां तो एक पल में लोग अपना होने का ढोंग करने लगते है ...।।
जनाब। इतना भी अपना पन ना दिखाना की लोग इंसान पर भरोसा ही न करे...।।
हा, में सीधी लड़की हूं,
की हा में सीधी लड़की हूं...
इसका मतलब यह नहीं की में भूरी लड़की हूं...
वक्त वक्त का खेल है,
जनाब ।जहां वक्त आने पर ही अपना खेल दिखाना है ।।

© carzy mind