सभी तो गुणगान ही करते हैं
सभी तो देश का गुणगान ही करते हैं
खुद पढ़के और पढ़ाके एहसान करते हैं
जो घूस और कमीशन पर काम करते हैं
कोई लूटे,कोई कूटे, कोई घूंटे मंद-मंद
और वो ही मंदिर मंच पर श्रीराम करते हैं।
कहीं पानी में भीगते हैं सिर किसान के
कहीं सड़क की ईंट चुराकर वो मकान करते हैं
है हमें भी अधिकार बस वोट, कोट, प्लोट का
वो नोट की ही चोट पर हर काम करते हैं...
खुद पढ़के और पढ़ाके एहसान करते हैं
जो घूस और कमीशन पर काम करते हैं
कोई लूटे,कोई कूटे, कोई घूंटे मंद-मंद
और वो ही मंदिर मंच पर श्रीराम करते हैं।
कहीं पानी में भीगते हैं सिर किसान के
कहीं सड़क की ईंट चुराकर वो मकान करते हैं
है हमें भी अधिकार बस वोट, कोट, प्लोट का
वो नोट की ही चोट पर हर काम करते हैं...