...

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हाथी और चींटी
हाथी मिली जब चींटी से
तब हाथी बोला मैं बलवान
मैं बलवान चींटी बोली
वो कैसे वो कैसे
हाथी बोला तुझको मिनटों में कुचल
सकता हूँ
चींटी बोली माना मैंने तुम बलवान
तुम बलवान
चलो अब हम बढ़ाते आपके आगे
दोस्ती का हाथ
हाथी बोला तुम मेरे किस काम की
चींटी बोली दोस्ती में जरूरत नहीं देखते
दोस्ती तो दोस्ती होती है
हाथी जोर से हँस पड़ा
कहने लगा वैसे तुम्हारा हमारा न कोई मेल
फिर भी चलो आज से अब से
तुम मेरी दोस्त हुई
तभी शिकारी आया हाथी के लिए
गड्ढा था खोद रहा
चींटी ने था देख लिया
पैर में था उसके काट लिया
अपने दोस्त हाथी को था बचा लिया
हाथी चींटी से हाथ जोड़ बोला मैं शर्मिंदा हूँ
ताकत को जो मैंने तुम्हारी नज़रअंदाज किया
छोटी होकर भी तुमने दोस्ती का क्या
बखूबी फर्ज निभाया
मुझ नादाँ को ये समझ न आया
बड़ा शरीर देख मैंने अपने आप को बलवान बताया
आज तुम हमारे काम आई
इसका मैं तुम्हे शुक्रिया कहता हूँ
अभी इसी खुशी में मिश्री तुम्हें खिला
अपने ऊपर बिठा जन्नत की सैर कराता हूँ
© Manju Pandey Choubey