वह दूर जाता रहा
मन्नतों के धागे इश्क़ में दर-दर बांधते रहे हम ।
वह दूर जाता रहा उसे पुकारते रहे हम ।
भरोसा कहो या हद थी दीवानगी की मेरी
उसके झूठ को भी हमेशा सच मानते रहे हम ।
उसके बातों में एक मिठास थी या ज़हर था मीठा सा ।
इलाज-ए-इश्क़ की दवा समझकर जहर हीं मांगते रहे हम ।
वो देख रहा था ख्वाब नाजुक फूल और कलियों की आँखों को बंद...
वह दूर जाता रहा उसे पुकारते रहे हम ।
भरोसा कहो या हद थी दीवानगी की मेरी
उसके झूठ को भी हमेशा सच मानते रहे हम ।
उसके बातों में एक मिठास थी या ज़हर था मीठा सा ।
इलाज-ए-इश्क़ की दवा समझकर जहर हीं मांगते रहे हम ।
वो देख रहा था ख्वाब नाजुक फूल और कलियों की आँखों को बंद...