...

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नज़दीक
बहुत नज़दीक आ गए थे हम तहज़ीब भूल गए थे हम
अच्छा किया तुमने जलील किया तुम्हे अपना समझने लगे थे हम
खाली हो गया वो सारा वक्त जो तुमको दे दिया करते थे
मसरूफ़ तुम थे इस कदर हम भी कोई सा बहाना निकाल लिया करते थे
© बावरामन " शाख"