...

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कोई बात है ना...
फिर से सजने सवरने लगी हो तुम...
कुछ बात है ना...
कोई तो करने लगा है मेरी कमियों को पूरा...
अब वो तुम्हारे दिल के बहुत पास है ना...
देखो एक बात पुछू तुम सच सच बताना...
अब कोई और तुम्हारा खाश है ना...
फिर से सजने सवरने लगी हो तुम...
कुछ बात है ना...
हमने खो दिया है खुदको भी...
इस बात का तुम्हे एहसास है ना...
चाहा था हमने तुम्हे पागलो की तरह...
पता तुम्हे ये बात है ना..
फिर से साजने सवरने लगी हो तुम...
कुछ बात है ना...
हो चुके है हम अल्हड की तरह...
क्योंकि खुशियाँ हमारे रास नहीं है ना...
पाते है अब खुदको तन्हा अपने हर एक मंजिल पर...
क्योंकि अब कोई मेरे साथ नहीं है ना...
फिर से सजने सवरने लगी हो तुम...
कुछ बात है ना...
साथ छूटा है अपना बेवकूफीयों के कारण...
इस बात की तुम्हे खबर है ना...
मगर आज भी हुँ तेरे ही इंतज़ार मैं बैठा...
लौट कर आओगी इस बात का मुझे झूठा विश्वाश है ना...
फिर से सजने सवरने लगी हो तुम...
कुछ बात है ना...