...

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zindgi thi jo...
हरदफा ठुकराया है तुमने मेरा प्यार
कि कुछ बात तो तुझमे मेरे यार.....
सौ दफा टुटकर कर भी तेरी ही चाहत
थी इस दिल को हर बार ........
मालूम है कि तू वापिस न आयेगा ,फिर
क्यो इस दिल को आज भी है तेरा इन्तजार...
मन्नते पुरी होती है जहाँ ,अक्सर
हाथ फैला कर मांगा है तुझे उस दरबार....