#वक्त
#वक्त..
जालिका ए इश्क़ मेरा यारों सक्त होता,
मिलता नहीं अश्क आँखों को अगर वक़्त होता,
न मंजूरी दी खुद ने न हौसला-अफ़ज़ाई की,
जिसने किया धोखा उसका हुसं सवारने पर वक्त होता,
दिल से खेलना पेसा था और मैं तन्हा तन्हा खेलता रहा,
बेवफ़ा निकली तेरी गली ये जानता अगर वक़्त होता!
© villan001
जालिका ए इश्क़ मेरा यारों सक्त होता,
मिलता नहीं अश्क आँखों को अगर वक़्त होता,
न मंजूरी दी खुद ने न हौसला-अफ़ज़ाई की,
जिसने किया धोखा उसका हुसं सवारने पर वक्त होता,
दिल से खेलना पेसा था और मैं तन्हा तन्हा खेलता रहा,
बेवफ़ा निकली तेरी गली ये जानता अगर वक़्त होता!
© villan001