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है माटी का एक खिलौना
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
जो हरियाली दिल को लुभाये,पतझड़ में सब खो जाता
आए वसंत जो कुछ ही काल में, बाग हरा फिर हो जाता
बाग हरा फिर हो जाता ........
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
मात - पिता की जो उम्मिद थी वही उम्मिद को तोड़ चले
मात - पिता जो बुढे देखे क्यों उनको वो छोड़ चले
क्यों उनको वो छोड़ चले.......??
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
बीता बचपन, गई जवानी, अब बूढ़ापा आएगा
ऐसे भी मर मर के , जी के , अब तू क्या ही पाएगा
अब तू क्या ही पाएगा.........??
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
गरीब गरीबी पर है रोता , अमीर भी ना चैन से सोता
करनी कर ले बस तू बंदे, जो प्रभु चाहे वही है होता
जो प्रभु चाहे वही है होता ........
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
धन दौलत चाहे लाख कमाई ,यही छूट सब जानी है
कर्म, पुण्य और भक्ति मात्र ही, दौलत साथ में जानी है
दौलत साथ में जानी है..........
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
जप ले बंदे प्रभु नाम तू, साथ यही बस जाएगा
झूठी दौलत इस दुनिया की, लूट के क्या तू पाएगा
लूट के क्या तू पाएगा .........??
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
कलयुग में जो पाप हुए हैं, पाप मुक्त प्रभु कर देना
तेरी भक्ति में रम जाऊं मैं ,मुझको ऐसा वर देना
मुझको ऐसा वर देना......
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
© Munni Joshi
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
जो हरियाली दिल को लुभाये,पतझड़ में सब खो जाता
आए वसंत जो कुछ ही काल में, बाग हरा फिर हो जाता
बाग हरा फिर हो जाता ........
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
मात - पिता की जो उम्मिद थी वही उम्मिद को तोड़ चले
मात - पिता जो बुढे देखे क्यों उनको वो छोड़ चले
क्यों उनको वो छोड़ चले.......??
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
बीता बचपन, गई जवानी, अब बूढ़ापा आएगा
ऐसे भी मर मर के , जी के , अब तू क्या ही पाएगा
अब तू क्या ही पाएगा.........??
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
गरीब गरीबी पर है रोता , अमीर भी ना चैन से सोता
करनी कर ले बस तू बंदे, जो प्रभु चाहे वही है होता
जो प्रभु चाहे वही है होता ........
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
धन दौलत चाहे लाख कमाई ,यही छूट सब जानी है
कर्म, पुण्य और भक्ति मात्र ही, दौलत साथ में जानी है
दौलत साथ में जानी है..........
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
जप ले बंदे प्रभु नाम तू, साथ यही बस जाएगा
झूठी दौलत इस दुनिया की, लूट के क्या तू पाएगा
लूट के क्या तू पाएगा .........??
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
कलयुग में जो पाप हुए हैं, पाप मुक्त प्रभु कर देना
तेरी भक्ति में रम जाऊं मैं ,मुझको ऐसा वर देना
मुझको ऐसा वर देना......
है माटी का एक खिलौना, रे ये दुनिया कुछ भी नहीं
ये मेरा वो मेरा कहे सब, रे किसी का कुछ भी नहीं
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
रे किसी का कुछ भी नहीं...........
© Munni Joshi
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