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शोषण
"स्व प्रकाशित रचना"
असहाय निर्बल निर्धन ये सब क्या करेंगे किसी का शोषण,
यह जीवन में निज परिवार का न कर पाते बेचारे पोषण,
शोषण करते उच्च पदों पर बैठे लोग,व्यापारी, अमीर,
गरीब तो मेहनत मजदूरी करते गला देते हैं शरीर,
जीवन में कुछ कर न पाते रहते हैं गरीब के गरीब,
गरीबी उनके किस्मत में लिखी होती बदलता नहीं नसीब,
मंहगाई के इस दौर में घर का बोझ उठाना हो गया मुश्किल,
कर्जा ले फंस जाते ब्याज पे ब्याज ले लोग कर देते बुज़दिल,
जब निकल न पायें कर्ज के जंजाल से कर लेते आत्महत्या,
अपना जीवन बलिदान कर देते वो क्या करेंगे किसी की हत्या,
किसान हो या गरीब अपने ही जाल से निकल न पायें सालों साल,
कैसा है संसार में गरीबों को ज़िंदगी घुट घुट कर जीने का मायाजाल,
© प्रकाश
असहाय निर्बल निर्धन ये सब क्या करेंगे किसी का शोषण,
यह जीवन में निज परिवार का न कर पाते बेचारे पोषण,
शोषण करते उच्च पदों पर बैठे लोग,व्यापारी, अमीर,
गरीब तो मेहनत मजदूरी करते गला देते हैं शरीर,
जीवन में कुछ कर न पाते रहते हैं गरीब के गरीब,
गरीबी उनके किस्मत में लिखी होती बदलता नहीं नसीब,
मंहगाई के इस दौर में घर का बोझ उठाना हो गया मुश्किल,
कर्जा ले फंस जाते ब्याज पे ब्याज ले लोग कर देते बुज़दिल,
जब निकल न पायें कर्ज के जंजाल से कर लेते आत्महत्या,
अपना जीवन बलिदान कर देते वो क्या करेंगे किसी की हत्या,
किसान हो या गरीब अपने ही जाल से निकल न पायें सालों साल,
कैसा है संसार में गरीबों को ज़िंदगी घुट घुट कर जीने का मायाजाल,
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