...

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यादें
कोशिश कई मर्तबा तुझको भूल जाने की की थी,

पर ढलती रात हर दफा तेरी ही यादों में गुज़री थी,

रोई भी थी, तड़पी भी थी, हाँ इस कोशिश में कई बार मैं बिखरी भी थी,
संभली भी थी, संवरी भी थी, कुछ तेरे ख्यालों में उलझी सी थी,

तुझे भुलाने की चाह में, शायद हद से ज़्यादा, तुझे ही मैं याद करती थी I