...

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ज़िंदगी गुमशुदा सी...

© Shivani Srivastava
मैं सुना तो दूं,पर समझेगा कौन,, गुमशुदा ज़िंदगी की कहानी...
सोच से परे है जिसकी हक़ीक़त, कुछ ऐसे मोड़ से भी गुजरी जिंदगानी।

दुनिया के आइने में जो सामने से दिखा, ज़िंदगी की वही तस्वीर है..
पर आईने के सामने न पड़ा जो,कौन जानेगा वो घाव भी गम्भीर है।

पूरी तस्वीर कहां आती आइने में,वो तो सामने का बस अधूरा सच दिखाता है..
सामने यदि मुखौटा लगा हो,तो पीछे से अच्छा है या बुरा कौन जान पाता है।

इतना ही काफ़ी है बताने के लिए कि किस तरह ज़िंदगी गुमशुदा हो जाती है...
हर बार हकीकत सामने नहीं आती,अन्ततः रूह भी जिस्म से जुदा हो जाती है।

@voiceofheart..s.s.9768