...

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परिश्रम सर्वोपरि
सोती आंखों से जागते ख्वाब देखती हूं मैं वह ,बुलंदियां हूं जो जमी को पास देखती हूं।
आसमान में उड़ती बुलंदियां मुझे भाती नहीं,
वह जमीन के नजदीक कभी आती नहीं।
मेहनत करके ही बुलंदियों को पाना है ,जीवन ,का बस एक यही फसाना है।
मंजिल का इंतजार ना करना वह ना आएगी ,तुम्हारी मेहनत ही तुम्हें वहां पहुंचाऐगी।
बहुत थक जाने वाला सफर है, पर मुझे खुशी है, कि तुझ में बहुत सबर है।
तेरी हिम्मत को देख सर झुकता है ,भगवान ,ऐसों के साथ ही रुकता है ।
तेरी हंसी भगवान को ही रुला देती है आसमान, के फरिश्तों को भी झुका देती है।
ए मेहनत करने वाले इंसान तुझे नमन है, इस उजड़े हुए बगीचे में एक तू ही चमन है।।