परिश्रम सर्वोपरि
सोती आंखों से जागते ख्वाब देखती हूं मैं वह ,बुलंदियां हूं जो जमी को पास देखती हूं।
आसमान में उड़ती बुलंदियां मुझे भाती नहीं,
वह जमीन के नजदीक कभी आती नहीं।
मेहनत करके ही बुलंदियों को पाना है ,जीवन ,का बस एक यही फसाना है।
मंजिल का...
आसमान में उड़ती बुलंदियां मुझे भाती नहीं,
वह जमीन के नजदीक कभी आती नहीं।
मेहनत करके ही बुलंदियों को पाना है ,जीवन ,का बस एक यही फसाना है।
मंजिल का...