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फेसबुक वाला प्यार....By-The Sagar Raj Gupta {श्रृंगार रस कवि}
जब मैं ऑनलाइन आऊं फेसबुक पर , वो भी ऑनलाइन आती है,
मुझसे मेरा दर्द पूछकर मुझे बनाती है ।
दोस्त हूँ कहकर ये बहाना बनाती है ,
फिर भी घरवालों से छिपकर हमसे बात करना चाहती है ।
न जाने मैं क्यो बेकरार हो गया .....
किसी को मुझसे भी फेसबुक वाला प्यार हो गया ।

भगवान से पहले मेरा नाम लेती है ,
और माता- पिता से पहले मुझे प्रणाम करती है ।
मेरे हाल को मुझसे पहले ही समझती है ,
लेकिन मेरे कुछ कहने से पहले मेरे गुस्से से डरती है ।
सपनों में ही सही उनके नैनों से मेरा नैना चार हो गया .....
और किसी को मुझसे भी फेसबुक वाला प्यार हो गया ।

उसे देख सकूँ इसके लिए अपना फ़ोटो भेजती है,
आप ठीक तो है न कहके ख़ैरियत पूछती है ।
दिल की बात जुबां पर न आ जाए इसके लिए काफी सावधानी बरतती है,
जब मैं किसी बात पे रोऊं तो वो भी मेरे साथ रोती है।
धीरे-धीरे मैं इनकार से इक़रार कर गया .......
और किसी को...