थक चुके हम
रोज़ लड़ते है हम खूदसे
और रोज़ एक नई मौत मरते है हम
अब ऐसा लगता हैं
मौत आ जाए जितनी जल्दी हो सके
बस थक चुके हैं हम
यूंही खुश रहने की दिखावे करते करते
अपनी आंसुओ को छिपाते छिपाते
अब ज़िन्दगी बोझ सा लगने लगा हैं
और रोज़ एक नई मौत मरते है हम
अब ऐसा लगता हैं
मौत आ जाए जितनी जल्दी हो सके
बस थक चुके हैं हम
यूंही खुश रहने की दिखावे करते करते
अपनी आंसुओ को छिपाते छिपाते
अब ज़िन्दगी बोझ सा लगने लगा हैं
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