...

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थक चुके हम
रोज़ लड़ते है हम खूदसे
और रोज़ एक नई मौत मरते है हम
अब ऐसा लगता हैं
मौत आ जाए जितनी जल्दी हो सके
बस थक चुके हैं हम
यूंही खुश रहने की दिखावे करते करते
अपनी आंसुओ को छिपाते छिपाते
अब ज़िन्दगी बोझ सा लगने लगा हैं