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वो बचपन के दिन
कितने प्यारे थे वो दिन
जब हम छोटे बच्चे थे,
सब प्यार करते थे हमसे
और हम कितने दिल के सच्चे थे ।
साथ मिलकर खेलते थे
और साथ में करते थे हम पढ़ाई,
हर वक़्त हम साथ ऐसे रहते
मानो जैसे भाई ।
पर जैसे - जैसे हम बड़े हो गए
वो दिन ना जाने कहां खो गए,
झूठ बोलना,झगड़ा करना
ना जाने कब हमरी आदत हो हो गए ।
हम भूल गए उन बातों को
की कैसी हमरी दोस्ती थी,
हमसे परेशान होकर टीचर भी
हमे साथ बैठेने से रोकती थीं ।
कॉम्पटीशन में हम इतने खो गए
की हमारे दोस्ती के रंग भी फिके हो गए,
दूर इतना हो गए एक दूसरे से की
मिले हुए कई बरस गुजर गए ।
कभी कभी तो लगता है
की काश अभी भी बच्चे होते,
दोस्तों के साथ हम होते
और अभी भी दिल के सच्चे होते ।।
जब हम छोटे बच्चे थे,
सब प्यार करते थे हमसे
और हम कितने दिल के सच्चे थे ।
साथ मिलकर खेलते थे
और साथ में करते थे हम पढ़ाई,
हर वक़्त हम साथ ऐसे रहते
मानो जैसे भाई ।
पर जैसे - जैसे हम बड़े हो गए
वो दिन ना जाने कहां खो गए,
झूठ बोलना,झगड़ा करना
ना जाने कब हमरी आदत हो हो गए ।
हम भूल गए उन बातों को
की कैसी हमरी दोस्ती थी,
हमसे परेशान होकर टीचर भी
हमे साथ बैठेने से रोकती थीं ।
कॉम्पटीशन में हम इतने खो गए
की हमारे दोस्ती के रंग भी फिके हो गए,
दूर इतना हो गए एक दूसरे से की
मिले हुए कई बरस गुजर गए ।
कभी कभी तो लगता है
की काश अभी भी बच्चे होते,
दोस्तों के साथ हम होते
और अभी भी दिल के सच्चे होते ।।
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