...

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कही घुमशुदा
कही घुमशुदा हो जाऊ, मैं इन वादियों में, इन फूलों की पंखुड़ियों मैं,
इस प्रकृति के रंग में रंग जाऊ,
बस ये हवा की तरह टहलती रहुं जगहों पे और फिर से आके बस जाऊ,
अपने आप में ।
कही घुमशुदा हो जाऊ,
फिर मिलो अपने आप में, मेरे किताबो के पन्नो पे अक्षरों की तरह,
मेरी बोली हुई हर एक वाणी में ,
मेरी शख़्सियत में,
हर एक चीज़ जिसमे मेरी मोहब्बत बया होती हैं,
वही घुमशुदा होगे मिल जाऊंगी फिर में यही ।।
- Feel through words✨
© Feel_through_words