मेरा बचपन.....
मैं दिन-रात सोता था
स्नेह के बीज मैं बोता था
दादा का इकलौता पोता था
ना जाने वो मौसम कैसा होता था
उस वक़्त हर-तरफ खुशी का माहौल पसरा था !!
मेरा बचपन उत्पात और हठखेलियों में गुजरा था !!
हर वक़्त सबसे हंसी ठिठोली
दिन भर खेलना कंचे की गोली
माँ का लगाना मुझे वो चंदन-रोली
हमेसा सुनने को मिलता दादी की बोली
आज तक समझ नहीं आया कि वो भी क्या...
स्नेह के बीज मैं बोता था
दादा का इकलौता पोता था
ना जाने वो मौसम कैसा होता था
उस वक़्त हर-तरफ खुशी का माहौल पसरा था !!
मेरा बचपन उत्पात और हठखेलियों में गुजरा था !!
हर वक़्त सबसे हंसी ठिठोली
दिन भर खेलना कंचे की गोली
माँ का लगाना मुझे वो चंदन-रोली
हमेसा सुनने को मिलता दादी की बोली
आज तक समझ नहीं आया कि वो भी क्या...