...

4 views

चले हो जहाँ से वही लौट आना है
चले हो जहाँ से वही लौट आना है
बस बिच में खेल दिखाना है
कितनी ही बुलंदी की परवाज
भर ले अ तू परिंदा
लौट कर वापस जमीं पर आना है
दुनिया भाग रही है एक ही तरफ
सबको सबसे आगे जाना है
इस दौड़ का अंत नहीं है मेरे दोस्त
किसी महंगी चीज खरीदकर दिखाना
किसी को सबसे अमीर होकर दिखाना है
तू मत चल इस दिखावे की दुनिया
के पीछे
जी ले अपने हिसाब से जिंदगी
चले हो जहाँ से वही लौट आना है
बस बिच बिच में खेल दिखाना है
ऐसा नहीं है की तुझे कुछ नहीं करना
तुझे तो धूम मचाना है
ख्वाबो में जों सोचता है
वो हक़ीक़त में कर जाना है

© pawan kumar saini