विश्व गुरु
गर्मी-सर्दी हर मौसम में, आंख लगाए सरहद पर
दिखा रहा दुश्मन को सीना, शान तिरंगे की जद पर
देश की मिट्टी, देश की इज़्ज़त, के रखवाले ऐसे हैं
गोली खाकर भी न हटेंगे, कदम लौटकर पनघट पर
लड़ जाते हैं, मर जाते हैं, दुश्मन जो हो भिड़ जाते हैं
मौत खड़ी हो आगे फिर भी, अपनी ज़िद पे अड़ जाते हैं
क़दम-क़दम पे चूमें धरती, गाथा ऐसी झूमे धरती
चरणों में सिर उसका रख दें, भारत की जो छीने धरती
दौर गए वो कठपुतली के, जब ऊंगली पर नचते थे...
दिखा रहा दुश्मन को सीना, शान तिरंगे की जद पर
देश की मिट्टी, देश की इज़्ज़त, के रखवाले ऐसे हैं
गोली खाकर भी न हटेंगे, कदम लौटकर पनघट पर
लड़ जाते हैं, मर जाते हैं, दुश्मन जो हो भिड़ जाते हैं
मौत खड़ी हो आगे फिर भी, अपनी ज़िद पे अड़ जाते हैं
क़दम-क़दम पे चूमें धरती, गाथा ऐसी झूमे धरती
चरणों में सिर उसका रख दें, भारत की जो छीने धरती
दौर गए वो कठपुतली के, जब ऊंगली पर नचते थे...