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छान - फटक कर देखिए.....
किसी भी चीजों को बरबस यूँ ही प्रयोग में ना कभी लाइये,
उससे पहले एक बार कम -से -कम छान फटक कर देखिए।
हर जगह , हर वक़्त हर चीजों में मिलावट- सी रहती है यहाँ,
ना जाने धोखा दे दे आपको आखिर कब कौन और कहाँ ?

रिश्तें हो या कोई सामान, सबमें झूठ और फरेब की मिलावट है,
राजनेताओं की चुनावी घोषणाओं में उनके स्वार्थ की रहती आहट है ।
दाल - चावल ,मसालों में भी अक्सर धूल ,कंकड़ , दिख जाते हैं,
शुद्ध दूध -हवा- पानी अब भला सबको कहाँ मिल पाते हैं।

लोगों के प्यार, विश्वास और साथ में भी उनका मतलब नजर आते हैं
बिना मतलब- स्वार्थ- लाभ के कहाँ कोई किसी से दिल यहाँ अपना लगाते हैं।
कभी किसी की मजबूरियाँ तो किसी का कभी लालच हमेशा इसके पीछे रहता है,
दुख की घड़ियों में तो यहाँ कोई किसी को क्या अपना भी अपना नहीं कहता है ।

किसी को अपनाने से पहले उसे अच्छे - से परख लिया कीजिये
नहीं तो आप ठग लिए जायेंगे ,खुबसूरती का मुखौटा लगाये
स्वार्थ और मतलब की दुनिया से , रिश्तों से और लोगों से।।

किसी भी चीजों को बरबस यूँ ही प्रयोग में ना कभी लाइये,
उससे पहले एक बार कम -से -कम छान फटक कर देखिए।
हर जगह , हर वक़्त हर चीजों में मिलावट- सी रहती है यहाँ,
ना जाने धोखा दे दे आपको आखिर कब कौन और कहाँ ??

— Arti Kumari Athghara (Moon) ✍✍
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