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आया ही नहीं...💔💔✍️✍️(गजल)
दो पल प्यार पा सकूं उसका
वो पल कभी आया ही नहीं

वो बस कल- कल करता रहा
और कल कभी आया ही नहीं

हम उलझते रहे ताउम्र 'सत्या'
और हल कभी आया ही नहीं

फिर दिल ने कहा मायूस होके
लौट चल कभी आया ही नहीं

मुझको फंसा रखा है कीचड़ में
हाथ कमल कभी आया ही नहीं

उम्मीद लगा बैठे खराब नल से
उसमें जल कभी आया ही नहीं

मेरी मोहब्बत थी जैसे गंगा सी
मुझको छल कभी आया ही नहीं



© Shaayar Satya