...

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विद्यालय का अंतिम दिन
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है

न जाने कब से बसी थी, शिक्षक बनने की हसरत।
छोटों-बड़ों को नहीं ,बल्कि माध्यमिक पढ़ाने की हसरत
तेरी सहायता से हे केंद्रीय विद्यालय, सुखमय हुआ पलपल।
इच्छा पूरी हो जाए तो रब का नज़राना लगता है।
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है

शुक्रगुजार हूँ शिक्षा के देवता तुमने मुझे सेवा का मौका जो दिया।
हमने भी अपना समस्त तन-मन तुझ पर न्योछावर कर दिया
सैर करा दी विभिन्न विद्यालयों की मैंने भी उनका सजदा किया
देवताओं का चुपके से मुझे पार लगाना अच्छा लगता है
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है

मेरी वीरानी दुनिया में तू था हमसफ़र हमसाया मेरा
जहां अटकी मेरी जिंदगी तू था हमदम हमनशीं मेरा
मीरा थी कृष्ण दीवानी मैंने भी तुझे उससे कम न जिया
कठिन परिस्थितियों में कोई दे सहारा तो अच्छा लगता है
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है।

हे केंद्रीय विद्यालय तुमने हमें सब कुछ दिया है ।
मेरे जीवन के सारे अरमानों को तुमने पूर्ण किया है ।
यदि तुम्हारी कृपा दृष्टि न होती तो ज़िन्दगी दूभर हो गई होती।
देख विभिन्न रंगों का उपवन आत्मविभोर होना अच्छा लगता है।
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है

तू है बैतरणी की रसधार सी तुझसे सब तर जाते हैं।
तेरी बदौलत सकल जन तमन्नाओं की पूर्ति कर जाते हैं।
कितना सौभाग्यशाली होता है जो तुझमे समा जाता है।
सिमटते ही आगोश में जीवन ख़ुशी से लबालब हो जाए तो अच्छा लगता है।
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है

जब जब खलती ज़िन्दगी हे ईश्वर! तुमने मुझे पार लगाया।
भूल कर सारी कमियों को तुमने आशीष दे कर बचाया ।
तू है बिघ्नकर्ता मैंने भी सारा जीवन तेरे नाम कर दिया।
मुझ अकेली के तुम बन गए हमसफ़र तो अच्छा लगता है।
दिन महीने साल गुजर जाएँ तो अच्छा लगता है।
हर दिल में अपनी याद बसाएँ तो अच्छा लगता है