8 views
बिना कुछ बोले चला गया
जाने दो जो चला गया,
मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो वक्ता बन गया,
मन ही मन में सिमटता चला गया ।
न उसे कुछ पाने की लालसा ,
न उसे कुछ खोने का गम ।
निभाए सारे कर्तव्य ,
दिल में छुपा कर हर एक गम ।
सबकी आंखों में आसूं और दिल में दर्द दे गया ,
बिना कुछ बोले चला गया ।
— अंकिता द्विवेदी त्रिपाठी —
© Anki
Related Stories
5 Likes
1
Comments
5 Likes
1
Comments