...

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नाराज़गी
नाराज़गी,,,

कहते हैं कि हर रिश्ते की नींव,,,
दिल से दिल का लगाव है।
प्यार से कोई आवाज़ लगाये,,
अपनापन भर देता हर घाव है।
वो याद नहीं करता तो हम भी क्यों करें,,
बस यही पर हर रिश्ता एक दूसरे से नाराज़ हैं।
नाराज़गी भी जायज है वहां,,
यहां प्यार और अपनेपन की बहती परवाज़ हैं।
वहां पर नाराज़गी का क्या फ़ायदा,,
यहां हमें ही बताना पड़े कि हम नाराज़ हैं ।
इस लिए तो कहते हैं कि,,
हर रिश्ते की नींव दिल से दिल का लगाव है
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