वक्त....
कुछ भी कहो बस मुझे अपना न कहो;
मैं रेत का दरिया हूँ मुझे मृगतृष्णा न कहो;
जिंदगी भंवर बनी है मेरे ही इशारों पर,
मतवाला हूँ मैं बस मुझे अपना सपना न कहो।
तारा मंडल में सैर करने, तुम निकले थे ख्वाब लिए,
बनकर विपत्ति...
मैं रेत का दरिया हूँ मुझे मृगतृष्णा न कहो;
जिंदगी भंवर बनी है मेरे ही इशारों पर,
मतवाला हूँ मैं बस मुझे अपना सपना न कहो।
तारा मंडल में सैर करने, तुम निकले थे ख्वाब लिए,
बनकर विपत्ति...